Saturday, August 20, 2016

Memory Booster Yoga for Childrens

वृक्षासन योग से बढ़ाएं स्फूर्ति और एकाग्रता

संस्कृत शब्द वृक्ष को अंग्रेजी में ट्री कहते हैं। इसके पर्यायवाची शब्द है झाड़ और पेड़। वृक्षासन को करने से व्यक्ति की आकृति वृक्ष के समान नजर आती है इसीलिए इसे वृक्षासन कहते हैं।

नटराज आसन के समान यह आसन भी शारीरिक संतुलन के लिए बहुत ही लाभप्रद है| जहां एक ओर Vrikshasana in Hindi से हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को लाभ पहुँचता है, वहीं मानसिक तनाव को भी यह आसन दूर रखता है| कहने का मतलब यह है कि अगर आप मानसिक संतुलन बनाये रखना चाहते है तो वृक्षासन कीजिये| वृक्षासन के अनेक लाभ है अगर इसे नियमित रूप से किया जाएं|

योगाचार्यों के अनुसार वृक्षासन को प्रातः काल में करने से यह ओर भी अधिक लाभप्रद होता है| इस आसन को करने से बेडोल शरीर सुडौल बनता है| जिन व्यक्तियों को घुटने में दर्द की समस्या है उन लोगो को यह आसान जरूर करना चाहिए| इस आसन को करने से आपके घुटनो का दर्द बिलकुल बंद हो जायेगा| यह आसन उन लोगों को खासकर करना चाहिए, जिन्हें अधिक चलना पड़ता है जैसे सेल्स मैन, कोरियर बॉय आदि| इस आसन को करने से आपके पैरों को मजबूती मिलती है|

अवधि/दोहराव : जब तक इस आसन की स्थिति में आसानी से संतुलन बनाकर रह सकते हैं सुविधानुसार उतने समय तक रहें। एक पैर से दो या तीन बार किया जा सकता है।

आसन की विधि :
 पहले सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं। फिर दोनों पैरों को एक दूसरे से कुछ दूर रखते हुए खड़े रहें और फिर हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए सीधाकर हथेलियों को मिला दें।



इसके बाद दाहिने पैर को घुटने से मोड़ते हुए उसके तलवे को बाईं जांघ पर टिका दें। इस स्थिति के दौरान दाहिने पैर की एड़ी गुदाद्वार-जननेंद्री के नीचे टिकी होगी। बाएं पैर पर संतुलन बनाते हुए हथेलियां, सिर और कंधे को सीधा एक ही सीध में रखें। यह स्थिति वृक्षासन की है। इस आसन को करते समय आपको यह महसूस करना चाहिए की आपका पैर एक जड़ है, जिस पर पेड़ के समान शरीर टिका हुआ है| अब अपने ध्यान को केंद्रित कर सामने की ओर देखें| सहज रूप से साँस लेते रहे| इस आसन को Tree Pose Yogaभी कहा जाता है| आइये जानते है वृक्षासन की योग क्रिया-
  1. सीधे तनकर खड़े हो जाइये|
  2. दायें पैर को जमीन पर दृढ़ता से रखें|
  3. अब बायें पैर को धीरे -धीरे ऊपर उठाएं और दायें पैर के घुटनों के ऊपर रखें|
  4. अब दोनों हाथों को प्रार्थना की मुद्रा में अपनी छाती से लगाएं|
  5. संतुलन बनाये रखने के लिए अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर ले जाएं|
  6. अब सिर को सीधा रखे और अपनी आँखों को सिर के मध्य में केंद्रित करें|
  7. अब इस अवस्था में 1-2 मिनट तक खड़े रहे|
  8. दोनों पैरों से इस मुद्रा को 2-5 बार दोहराए|
वृक्षासन के लाभ : इससे पैरों की स्थिरता और मजबूती का विकास होता है। यह स्नायुमण्डल का विकास कर पैरों को स्थिरता प्रदान करता है। यह कमर और कुल्हों के आस पास जमीं अतिरिक्त चर्बी को हटाता है तथा दोनों ही अंग इससे मजबूत बने रहते हैं। यह तोंद नहीं निकलने देता।
वृक्षासन के असंख्य लाभ है जो शारीरिक और मानसिक दोनों ही तरीको से हमारे शरीर को लाभ पहुंचता है| आइये जानते है Tree Pose Benefits-
  1. इस आसन से पैरों की चर्बी और पेट कम होता है|
  2. पैरों में मजबूती आती है और शरीर का संतुलन बेहतर होता है|
  3. याददाश्त और एकाग्रता बढ़ती है तथा दिमाग शांत रहता है|
  4. शारीरिक और मानसिक तनाव को कम करता है|
  5. घुटने में दर्द से राहत मिलती है|
  6. यह पेट, कमर और कूल्हे के आसपास जमी चर्बी को ख़त्म कर देता है और आपके शरीर को सुडोल बनाता है|
इस सबके कारण इससे मन का संतुलन बढ़ता है। मन में संतुलन होने से आत्मविश्वास और एकाग्रता का विकास होता। इसे निरंतर करते रहने से शरीर और मन में सदा स्फूर्ति बनी रहती है

सावधानियाँ
यह हमेशा ध्यान रखें, किसी भी आसन को करने से पहले योग विशेषज्ञ की राय और सहयोग अवश्य लें| इसकी एक वजह यह है कि अगर आप आसन को सही तरीके से नहीं कर रहे है तो यह आपके शरीर पर नकारात्मक असर भी डाल सकता है|
आइये जानते है वृक्षासन से किन लोगो को दूरी बनाए रखना चाहिए और क्या क्या सावधानिया रखनी चाहिए-
  1. जिन लोगों में सिरदर्द की समस्या बनी रहती है ऐसे लोग इस आसान को न करें|
  2. ब्लड प्रेशर के रोगियों को भी यह आसन नहीं करना चाहिए|
  3. अगर आपको अनिद्रा या नींद से संबंधित कोई बीमारी है तो आपको इस आसन से दूर रहना चाहिए|
इस आसन के बारे में आपने पहले भी सुना होगा की जिस तरह “ध्रुव” ने खड़े होकर कठोर तपस्या की थी| उसी अवस्था में इस आसान को किया जाता है|
योग में माना जाता है कि अस्थिर मन, शरीर को भी अस्थिर बना देता है इसलिए आप जितना अपने मन पर नियंत्रण रख पाते है, उतनी ही आसानी से यह आसन को कर सकते है| Vrikshasana Yoga को करते समय किसी वस्तु का सहारा न ले, थोड़ा समय लेकर आप यह आसन करें| प्रतिदिन आप इस आसन को करें, धीरे धीरे आपको इस आसन का अभ्यास हो जाने पर आप इसे आसानी से कर सकेंगे|

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